नैनो तकनीक से बढ़ा सकते हैं फसलों की पैदावार: सुब्रमण्यम
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कास्ट एनसी परियोजना के अंतर्गत कृषि में नैनो तकनीकी के प्रयोग विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय आभासी व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर के निदेशक डॉ. केएस सुब्रमण्यम ने किया।
उन्होंने बताया कि नैनो तकनीक के उपयोग से कृषि में आमूल- चूल परिवर्तन हो रहे हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर नैनो फाइबर से बीजों का कैप्सूलीकरण कर उनकी अंकुरण, ओज व स्वास्थ्य क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। नैनोफाइबर कोटिंग से विभिन्न फसलों में पोषक तत्वों की स्मार्ट डिलीवरी मूंगफली, उड़द व मूंग जैसी फसलों में की जा रही है। उन्होंने बताया कि नैनो तकनीक से पोषक तत्वों के प्रति पौध आवश्यकता को काफी हद तक कम कर दिया है। ऐसे नैनो न्यूट्री कैप्सूल तैयार किए गए हैं जिनसे फसलों में कई पोषक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि न्यूट्री कैप्सूल पौधों के लिए कॉम्प्लान बूस्टर माने जाते हैं। डॉ. सुब्रमण्यम ने बताया कि नैनो प्रौद्योगिकी युक्त ड्रोन से नैनो यूरिया व खरपतवार नाशी कीटनाशक का छिड़काव करना आसान हो गया है। खेतों व पौधों के स्वास्थ्य का निरीक्षण भी इस तकनीक से किया जा सकता है। नैनो सिलका से भरपूर जैविक अणु से फसलों में लगने वाली बीमारियों का पहले से ही पता लगाया जा सकता है। फसल और फलों की कटाई के बाद लगभग 30 फीसदी फल और सब्जी का नुकसान हो जाता है जिससे किसानों की आमदनी पर प्रभाव पड़ता है। नैनो एमल्शन का प्रयोग फलों और डिब्बों में नैनो स्टीकर रखने से उनकी भंडारण क्षमता 2 से 3 सप्ताह बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में देश के 75 विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थानों से कुल 294 छात्र-छात्राओं ने रजिस्ट्रेशन कराया जिनमें 28 फीसदी महिलाओं ने भागीदारी की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्वेता ने किया तथा डॉ. राजीव ने समस्त अतिथियों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर डॉ. विनय, पारस कुशवाहा, राजकुमार, सुबोध व अन्य मौजूद रहे।