कोलंबो। श्रीलंका में जारी भीषण आर्थिक संकट के बीच सत्ता संघर्ष भी जारी है। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने विपक्ष की मांग पर पद छोडऩे से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह संसद में 113 सदस्यों का बहुमत साबित करने वाले किसी भी दल को सत्ता सौंपने को तैयार हैं। इस बीच, नवनियुक्त वित्तमंत्री अली साबरी ने दूसरे ही दिन इस्तीफा दे दिया।श्रीलंका के विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की थी जिसे राजपक्षे ने ठुकरा दिया है। देश के राजनीतिक दलों में तनातनी बढ़ती जा रही है। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति राजपक्षे की उस अपील को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने विपक्ष से एकता मंत्रिमंडल में शामिल होने का आग्रह किया था। श्रीलंका में घनघोर आर्थिक संकट के बीच लोगों में अब सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। महंगाई से त्रस्त लोग कह रहे हैं कि ‘एक परिवार को देश को बर्बाद करने से रोको ‘हमारे देश को बेचना बंद करो। श्रीलंका के ज्यादातर अहम पदों पर राजपक्षे परिवार का कब्जा है।वहीं, देश में आवश्यक वस्तुओं की कमी और बिजली कटौती के खिलाफ जनता का विरोध जारी रहा। जनता के विरोध के बाद संसद की आज पहली बार बैठक होने वाली है। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने 225 सदस्यीय सदन में बहुमत साबित करने के लिए मतदान कराएंगे, डेली मिरर अखबार ने बताया कि श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के बाहर होने और कुछ सरकारी सांसदों के स्वतंत्र बैठने की धमकी देने से सरकार ने अपना दो-तिहाई बहुमत खो दिया है। एसएलपीपी अब भी अपनी 113 सीटों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है, ताकि वह साधारण बहुमत के साथ भी सरकार में बनी रह सकें और महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री बने रह सकें। यदि महिंदा राजपक्षे सरकार आज बहुमत साबित करने में विफल रही तो स्पीकर नए पीएम के लिए चर्चा करा सकते हैं और जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा है नई पार्टी को वह सत्ता सौंप देंगे।