इंदौर. भारत ने विश्व को ज्योतिष जैसे कई शास्त्र प्रदान किए हैं, किंतु वर्तमान में ज्योतिष और ज्योतिषियों और अन्य शास्त्रों की स्थिति चिंताजनक है। तिथि, वार, मुहूर्त और त्योहार इन सभी को लेकर लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई है। एक ज्योतिषी जो फलित बताता है दूसरा उसका खंडन कर कुछ और बताता है। इसके कारण ज्योतिष का उपहास बन गया है। आम जनता का ज्योतिष पर से भरोसा भी उठ गया है। यदि हम चाहते हैं कि भारत पुन: गौरवशाली बने तो सभी शास्त्रों का उचित तरीके से अध्ययन कर नए विद्यार्थी तैयार करने होंगे।
यह विचार शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर में आयोजित ज्योतिष एवं वास्तु पर आधारित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में वक्ताओं द्वारा कही गई।भोपाल के राजज्योतिषी पं कृपाराम उपाध्याय ने कहा की जिस प्रकार एक डॉक्टर अपने रोगी की जांच करके रिपोर्ट व उचित उपचार देता है उसी प्रकार एक ज्योतिर्विद भी आपको कुंडली विश्लेषण करके आपको एक उचित मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।। कार्यक्रम की अध्यक्षता महर्षि पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति विजय मेनन ने की। विशेष अतिथि संस्कृत भारती के मध्य क्षेत्र संगठन मंत्री प्रमोद पंडित, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. रेणु जैन, संत अण्णा महाराज, उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. किरण सलूजा, हिन्दू महासभा के अध्यक्ष पवन त्रिपाठी थे।
कार्यक्रम संस्था तत्त्व वेलफेयर सोसाइटी एवं शासकीय संस्कृत महाविद्यालय इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसके बाद तीन अलग-अलग सत्रों में देश के विभिन्न शहरों और विश्वविद्यालयों से लगभग 350 ज्योतिषी तथा वास्तुविदों ने भाग लिया। संगोष्ठी में स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा, व्यापार, विवाह तथा स्मार्ट सिटी निर्माण और वास्तु जैसे विषयों के साथ ही ज्योतिष और वास्तु से संबंधित विभिन्न भ्रमों का निवारण भी किया जाएगा।