नई दिल्ली|प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी।चिदंबरम की जमानत याचिका का सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को विरोध किया। एजेंसी ने दावा किया कि वह जेल में रहते हुए भी मामले के अहम गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं। अदालत ने पूरी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने ED से अब तक की जांच रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी। ईडी की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस आर भानुमति की अगुवाई वाली पीठ से कहा कि आर्थिक अपराध गंभीर प्रकृति के होते हैं क्योंकि वे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं बल्कि व्यवस्था में लोगों के यकीन को भी ठेस पहुंचाते हैं।मेहता ने पीठ से कहा कि जांच के दौरान ईडी को बैंक के 12 ऐसे खातों के बारे में पता चला जिनमें अपराध से जुटाया गया धन जमा किया गया। साथ ही कहा कि एजेंसी के पास अलग-अलग देशों में खरीदी गई 12 संपत्तियों के ब्यौरे भी हैं। इस पीठ में जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस ऋषिकेश रॉय भी शामिल थे। शीर्ष अदालत 74 वर्षीय चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें मामले में जमानत नहीं देने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। अदालत ने ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जेल में अभियुक्तों की समयावधि को जमानत देने का आधार नहीं बनना चाहिए।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा ईडी के मामले में कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी अभी होनी है। कार्ति चिदंबरम ने अब तक अग्रिम जमानत की अर्ज़ी नहीं लगाई है। कहा कि PMLA के कुछ प्रावधानों को उन्होंने चुनौती दे रखी है, लिहाज़ा अदालत में उन प्रावधानों पर लगे रोक की वजह से वो अब तक बचे हुए हैं। कोर्ट की रोक हटते ही कार्ति चिदंबरम गिरफ्तार होंगे।
INX केस: पी. चिदंबरम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित..
